Diferent Standards and Trade Tools
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किसी राशि का मात्रक एवं किसी उत्पाद के आकार-प्रकार आदि का निर्धारित रूप, मानक कहलाता है।
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भारत में वस्तुओं के मानकीकरण के लिए BIS मानक स्थापित किया गया है।
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मात्रकों की SI प्रणाली के अन्तर्गत सात मूल, दो सम्पूरक एवं विभिन्न व्युत्पन्न राशियाँ आती है।
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प्लायर्स उच्च गुणवत्तायुकत स्टील से बनाए जाते हैं, जो छोटे धात्विक अवयवोंको पकड़ने, जकड़ने, खींचने व घुमाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
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विकर्ण कटर प्लायर, जिसे पार्श्व कटिंग प्लायर भी कहते हैं, 100, 125, 140, 160, 180 एवं 200 मिमी की लम्बाई में बनाए जाते हैं।
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धातु के छोटे टुकड़ों एवं तारों को बनाने एवं उन्हें आकृति प्रदान करने के लिए फ्लैट नोज प्लायर का प्रयोग किया जाता है।
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राउण्ड नोज प्लायर के जॉ की आकृति शंक्वाकार होती है, जिस कारण इनसे विभिन्न परिमापों के वक्र एवं वृत्त बनाना सम्भव होता है।
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बेलनाकार वस्तुओं को पकड़ने अथवा जकड़ने के लिए कॉम्बीनेशन प्लायर में एक पाइप ग्रिप प्लायर लगा होता है।
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हैमर के प्रमुख भाग फेस, पीन, आईहोल, नेक एवं हैण्डिल होते हैं।
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धात्विक चादरों पर प्रयोग किए जाने वाले लकड़ी के बने हैमर, मैलट कहलाते हैं।
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फर्मर छेनी की धार कुन्द (खराब) हो जाने पर इसे 'ऑयल स्टोन' या वाटर स्टोन” पर घिसकर तेज की जाती है।
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विद्युतकार द्वारा प्रयोग की जाने वाली टेनन आरी की लम्बाई 30-40 सेमी होती है।
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फेज टैस्टर, 500 वोल्ट की वोल्टेज तक ही कार्य करने में सक्षम होते हैं।
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इलेक्ट्रीशियन द्वारा नाइफ की कम धार वाली ब्लेड का प्रयोग एस. आई तारों पर इनेमल व गन्दगी हटाने के लिए किया जाता है।
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टेस्ट लैम्प का प्रयोग 250 V से अधिक वोल्टेज पर नहीं किया जाता है।
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ट्राई स्क्वायर, जिसे गुनिया भी कहते हैं, का प्रयोग वैद्युतिक वायरिंग में समकोणता की परख करने के लिए किया जाता है।
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1 मिमी के 100वें भाग तक मापन करने में सक्षम माइक्रोमीटर द्वारा तारों का व्यास ज्ञात किया जाता है।
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सुपर इनेमल तारों अथवा केबिल्स के व्यास के साथ-साथ धात्विक चादरों की मोटाई ज्ञात करने के लिए वायर गेज का प्रयोग किया जाता है।
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वैद्युतिक एवं इलेक्ट्रॉनिक कार्यों के लिए 15से 35 वाट तक केसोल्डरिंग आयरन प्रयोग किए जाते हैं।
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केबिल ज्वाइटिंग में जोड़ को गर्म करने तथा सोल्डर को पिघलाने के लिए प्रयुक्त ब्लो लैम्प मिट्टी के तेल से चलने वाला एक प्रकार का स्टोव है।
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लाइट एंड फेन के प्रत्येक उप-परिपथ में 10 से अधिक उपभोग बिंदु नहीं होने चाहिए।
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